
पैनडेमिक ने बड़े पैमाने पर लोगों को मानसिक तौर पर प्रभावित किया है। इंडियन साइकाएट्रिस्ट सोसाइटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में एक ही सप्ताह के अंदर मानसिक रोगियों की संख्या में 20 फीसदी इजाफा देखा गया है। बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और महामारी के डर ने भी समस्या को बढ़ाया है। बढ़ते मानसिक रोगों के साथ अब मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की मांग भी बढ़ रही है। हालांकि उनकी मौजूदा संख्या भी जरूरत से काफी कम है।
देश के 10 मीलियन लोगों पर सिर्फ सात साइकोलॉजिस्ट
डब्ल्यूएचओ की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 1.3 बिलियन जनसंख्या के लिए केवल 9000 साइकाएट्रिस्ट और 10 मीलियन लोगों पर सिर्फ सात साइकोलॉजिस्ट उपलब्ध है। इस कमी को देखते हुए तो यह साफ है कि साइकोलॉजी की फील्ड करियर का अच्छा स्कोप है और आने वाले समय में यह और भी मजबूत होगा। लेकिन करिअर बनाने से पहले आपको यह जानना होगा कि आप दो तरह के करिअर बना सकते हैं- पहला है साइकोलॉजी और दूसरा है साइकाएट्रिस्ट।
अलग- अलग हैं साइकाएट्रिस्ट और साइकोलॉजी
वैसे तो दोनों ही प्रोफेशनंस सुनने में एक जैसे लगते हैं और मस्तिष्क के व्यवहार से जुड़े होते हैं, लेकिन असल में यह एक दूसरे से बहुत अलग है। चूंकि दोनों ही साथ मिलकर काम करते हैं, इसलिए उनके काम के बीच में फर्क करना मुश्किल लग सकता है। इसे समझने का एक आसान तरीका है यह याद रखना कि साइकाइट्रिक ट्रेंड मेडिकल डॉक्टर्स होते हैं और उन्हें मरीजों को दवाइयां देने की इजाजत होती है। वहीं, साइकोलॉजिस्ट साइकोथेरेपिस्ट और बिहेविरियल इंटरवेंशन से अपने मरीजों की मानसिक और भावनात्मक परेशानियों से निकलने में मदद करते हैं।
साइकोलॉजी
साइकोलॉजिस्ट लैब एक्सपेरिमेंट, एप्टिट्यूट और इंटेलिजेंस बेस्ट सर्वे, खास परिस्थितियों में लोगों के व्यवहार को जांच कर अपने निष्कर्षों पर पहुंचते हैं। साइकोलॉजी इन ब्रांच में कर सकते हैं स्पेशलाइजेशन:
- क्लिनिकल साइकोलॉजी
- क्रिमिनल साइकोलॉजी
- स्पोर्ट्स साइकोलॉजी
- बिजनेस साइकोलॉजी
- फॉरेंसिक साइकोलॉजी
साइकाएट्रिस्ट
साइकाएट्रिस्ट मन की समस्याओं को एक मेडिकल प्रोफेशनल के नजरिए से देखते हैं और मानसिक डिसऑर्डर को मेडिकेशन के जरिए ठीक करते हैं। साइकाएट्रिस्ट की इन ब्रांच में बनाएं करिअर
- एडिक्शन साइकाएट्रिस्ट
- एडल्ट साइकाएट्रिस्ट
- चाइल्ड एंड एडोलेसेंट साइकाएट्रिस्ट
- कंसल्टेशन साइकाएट्रिस्ट
- इमरजेंसी साइकाएट्रिस्ट
- फॉरेंसिक साइकाएट्रिस्ट
यह डिग्रीज करनी होंगी हासिल
साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए स्टूडेंट्स को साइकोलॉजी में बैचलर और मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद डॉक्टर डिग्री भी हासिल करनी होती है। इसके अलावा उन्हें 2 साल तक इंटर्नशिप करने की जरूरत भी होती है। साथ ही उन्हें साइकोलॉजी टेस्ट्स एडमिनिस्टर करने के लिए भी ट्रेंड किया जाता है। जबकि साइकाएट्रिस्ट मेडिकल डॉक्टर (एमबीबीएस) होते हैं, जो अन्य डॉक्टर्स के मुकाबले कुछ अलग कोर्सेज पूरे करते हैं। एक लाइसेंस्ड साइकाएट्रिस्ट बनने के लिए इंटर्नशिप के साथ 3 साल की रेजिडेंसी पूरी करनी रहती है।
अलग-अलग क्षेत्र में मौजूद है स्कोप
साइकाएट्रिस्ट को क्लिनिक्स और हॉस्पिटल के साथ मेंटल हॉस्पिटल में जॉब मिल सकती है। इसके साथ ही वह नर्सिंग होम्स, मेडिकल कॉलेजेस और रिसर्च इंस्टीट्यूशंस में भी एंप्लॉयमेंट खोज सकते हैं। जबकि साइकोलॉजिस्ट अपनी स्पेशलिटी के मुताबिक विभिन्न फील्ड में सेवाएं दे सकते हैं। जैसे क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट,हॉस्पिटल में हायर किए जा सकते हैं। वहीं, स्कूल साइकोलॉजिस्ट, स्कूल में स्टूडेंट्स के बिहेवियरल प्रॉब्लम्स को समझते हैं। इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी, स्टडी नॉलेज से किसी आर्गेनाइजेशन में एंपलॉयर्स को मोटिवेट कर सकते हैं और सोशल साइकोलॉजी सोसाइटी के ट्रेंड्स को समझते हैं।
इंस्टिट्यूट और स्पेशलाइजेशन एरियाज
मेंटल हेल्थ एक विस्तृत क्षेत्र है और इसमें साइकोलॉजिस्ट्स और साइकाएट्रिस्ट के अलावा भी कई करियर ऑप्शंस हैं। जैसे साइकोथैरेपिस्ट्स और काउंसलर। साइकोथैरेपिस्ट, लोगों की विभिन्न समस्याओं जैसे स्ट्रेस से उबरने में मदद करते हैं। इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए आपको साइकोलॉजी में बैचलर्स करने के बाद साइकोथेरेपी में मास्टर्स डिग्री लेनी होगी। दूसरी ओर काउंसलर का काम होता है लोगों को गाइडेंस और असिस्टेंट मुहैया कराना। आमतौर पर यह साइकोलॉजी के मास्टर्स डिग्रीधारी होते हैं। इसमें करियर काउंसलर्स काफी लोकप्रिय होते हैं और स्टूडेंट की करियर से जुड़ी उलझन सुलझाते हैं। इसके अलावा मेंटल हेल्थ काउंसलर, रिलेशनशिप एंड मैरिज काउंसलर और हेल्थ काउंसलर्स की भी काफी डिमांड है।
कोर्ससे के लिए कॉलेज
साइकाएट्री
- सेंट्रल इस्टीट्यूट ऑफ साइकाएट्रिस्ट, रांची
- एम्स, नई दिल्ली
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
साइकोलॉजी
- जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
- सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी, पुणे
- यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास, चेन्नई
- यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई
- पंजाब यूनिवर्सिटी
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