शरीर को रोज 10 मिनट दीजिए, जिनती भूख से उससे आधा खाइए क्योंकि बीमारियां पेट से शुरू होती है; खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को भी बहा देगा - ucnews.in

सोमवार, 5 अक्टूबर 2020

शरीर को रोज 10 मिनट दीजिए, जिनती भूख से उससे आधा खाइए क्योंकि बीमारियां पेट से शुरू होती है; खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को भी बहा देगा

कई रिकॉर्ड बनाने वाले मिल्खा सिंह 91 साल के हो चुके हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर उनका फिटनेस के प्रति जुनून कम नहीं हुआ। उनके लिए फिटनेस क्या मायने रखती है, इसे उन्होंने साझा किया। वह कहते हैं, बदलाव फिटनेस से ही आएगा। आज मैं जो चल-फिर पा रहा हूं तो केवल फिजिकल फिटनेस की वजह से। मैं लोगों से कहता हूं कम खाओ, क्योंकि सारी बीमारी पेट से ही शुरू होती हैं।

मेरी राय है कि चार रोटी की भूख है तो दो खाइए। जितना पेट खाली रहेगा आप ठीक रहेंगे। इसके बाद मैं चाहूंगा कि 24 घंटे में से 10 मिनट के लिए खेल के मैदान में जाना बहुत जरूरी है।

पार्क हो, सड़क हो .. जाइए और दस मिनट तेज वॉक कीजिए, थोड़ा कूद लीजिए, हाथ-पैर चला लीजिए। खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को भी बहा देगा। आपको मेरी तरह कभी डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। सेहत के लिए दस मिनट निकलना बेहद जरूरी है।

युवाओं को दी गई स्पीच उन्हीं के शब्दों में जानिए...

'मेरे जमाने में तीन स्पोर्ट्समैन हुए। मैं था, लाला अमरनाथ थे और ध्यानचंद जी थे। एक दिन नेशनल स्टेडियम के अंदर लाला अमरनाथ जी से मेरी बातें हो रही थीं। उन्होंने मुझे बताया कि मैच खेलने के लिए उन्हें दो रुपए मिलते हैं और थर्ड क्लास में उन्हें सफर करना होता है। अब आज आप देख लीजिए कि हालात कितने बदल गए हैं। विराट कोहली के पास इतना पैसा, धोनी के पास इतनी दौलत है, सचिन कितने अमीर हैं। लेकिन तब इतना पैसा नहीं मिलता था।

ध्यानचंद जी जैसा हॉकी प्लेयर आज तक दुनिया में पैदा नहीं हुआ। जब वे 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में खेल रहे थे तो हिटलर ने उनसे कहा था कि ध्यानचंद आप यहां रह जाइए, आपको जो चाहिए हम देंगे। लेकिन ध्यानचंद जी ने कहा था नहीं, मुझे अपना देश प्यारा है, मुझे वापस जाना है।

1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में जब मैंने पहला गोल्ड मैडल जीता ते क्वीन ने मुझे गोल्ड मैडल पहनाया। स्टेडियम में करीब एक लाख अंग्रेज बैठे थे, भारतीय गिने-चुने ही थे। क्वीन जैसे ही गोल्ड मैडल पहनाकर गईं तो एक साड़ी वाली औरत जो क्वीन के साथ ही बैठी थीं, दौड़ती हुई मेरे पास आई और बोली- मिल्खा जी .. पंडित जी (जवाहरलाल नेहरू) का मैसेज आया है और उन्होंने कहा है कि मिल्खा से पूछो कि उन्हें क्या चाहिए।

आपको मालूम है मिल्खा सिंह ने उस दिन क्या मांगा था? सिर्फ एक दिन की छुट्टी। मैं पंडित जी से कुछ भी मांगता तो मिल जाता। लेकिन मांगने में शर्म का भाव आता है। तब मेरी तनख्वाह 39 रुपए आठ आने थी। सेना में मैं सिपाही था। उसी में हम गुजारा किया करते थे।

आज इतना पैसा आ गया है खेल में, इतने लेटेस्ट इक्विपमेंट आ गए हैं, इतने स्टेडियम बन गए हैं, मगर मुझे दुख इस बात का है कि 1960 में जो मिल्खा सिंह ने रिकॉर्ड बनाया था, वहां तक आज तक कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है। मुझे इस बात की तकलीफ है। आगे बढ़ो... सब कुछ है हमारे पास।

ओलिंपिक में मैडल जीतना अलग स्तर का काम है। वहां पर 220-230 देशों के खिलाड़ी आते हैं और अपनी पूरी तैयारी करके आते हैं। जोर लगाकर आते हैं कि हमें स्वीमिंग में मैडल जीतना है, फुटबॉल में मैडल जीतना है, हॉकी में मैडल जीतना है। एथलेटिक दुनिया में नंबर वन गेम मानी जाती है। उसमें जो मैडल ले जाता है उसे दुनिया मानती है। उसेन बोल्ट को पूरी दुनिया जानती है और कहती है कि जमैका का खिलाड़ी है। भारत की आजादी के बाद से केवल पांच-छह खिलाड़ी फाइनल तक पहुंचे हैं लेकिन मैडल नहीं ले पाए। मैं भी उनमें से एक हूं। जब कोई वहां से मैडल लेकर आएगा तब मैं मानूंगा कि बदलाव हुआ है।

• यह बातें स्टार्स टेल के एक इवेंट में फ्लाइंग सिख कहलाने वाले धावक मिल्खा सिंह ने कही थीं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
fitness secret of Milkha Singh Give 10 minutes daily to the body, eat half of it with hunger because all diseases start from the stomach; If the blood flows rapidly in the body, then it will also shed diseases.


from Dainik Bhaskar
via

Share with your friends

Related Posts

Add your opinion
Disqus comments
Notification
This is just an example, you can fill it later with your own note.
Done