
राजस्थान शिक्षा विभाग ने बुधवार को प्राइवेट स्कूलों को आदेश जारी करते हुए CBSE बोर्ड के स्टूडेंट्स की फीस में 30% और राजस्थान बोर्ड के स्टूडेंट्स की फीस में 40% की कटौती करने को कहा। आदेश में विभाग ने कहा कि CBSE ने 9वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 30% की कटौती की है, इसलिए प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस 30% कम करें।
पहली से आठवीं के लिए बाद में होगा फैसला
वहीं, राजस्थान बोर्ड ने सिलेबस में 40% की कटौती की है, इसलिए वे 40% फीस घटाएं। फिलहाल, यह फैसला 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए किया गया है। पहली से आठवीं तक के स्टूडेंट्स को अभी स्कूलों नहीं बुलाया गया है। ऐसे में इन क्लासेस के लिए फैसला स्कूल खुलने पर लिया जाएगा। सिलेबस में जितनी कटौती होगी, उसी आधार पर फीस में कटौती की जाएगी।
ऐसे समझें फीस का गणित
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पिछले सत्र के आधार पर फीस तय होगी।
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सत्र 2020-21 में यूनिफार्म नहीं बदलेगी।
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अभिभावक द्वारा दी गई ट्यूशन फीस या कैपेसिटी बिल्डिंग शुल्क की रसीद देनी होगी। इसमें कटौती का उल्लेख करना होगा।
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लैब, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी का उपयोग नहीं होने से इनका शुल्क नहीं लिया जा सकेगा।
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विद्यार्थी बाल वाहिनी का उपयोग करता है तो परिवहन शुल्क ले सकेंगे। जो पिछले सत्र से अधिक नहीं होगा। यह स्कूल खुलने पर शेष कार्यदिवसों के अनुपात में तय होगा।
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पिछले सत्र 2019-20 का बकाया शुल्क भी अभिभावक मासिक किश्तों में दे सकेंगे।
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किसी भी विद्यार्थी को बोर्ड पंजीयन के लिए रोका नहीं जा सकेगा। भले ही उसने ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड नहीं की हों।
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यदि किसी छात्र ने फीस का भुगतान नहीं किया है तो टीसी नहीं काटी जा सकेगी।
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निजी स्कूलों को फीस वसूलने के लिए यह शर्त होगी कि वह कार्मिकों और शिक्षकों को निर्धारित वेतन का भुगतान करेगा। कोविड के कारण किसी की छंटनी नहीं होगी।
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया फैसला
स्कूल खुलने पर स्टूडेंट्स से सिर्फ ट्यूशन फीस ही ली जा सकेगी। अभिभावकों को फीस जमा कराने का मासिक और त्रैमासिक भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराना होगा। पिछले 8 महीने से स्कूल बंद होने की वजह से निजी स्कूलों को कितनी फीस लेनी चाहिए, इसे लेकर राज्य सरकार ने एक कमेटी गठित की थी। उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, उसी आधार पर यह फैसला लिया गया है।
फैसला ठीक नहीं, लागू हुआ तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
राज्य सरकार के फैसले पर प्रोग्रेसिव एसोसिएशन स्कूल ऑफ राजस्थान ने कहा कि कमेटी का फैसला ठीक नहीं है। यह भेदभावपूर्ण है, अगर इसे लागू किया गया तो हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। फीस में इतनी ज्यादा कटौती की गई तो स्कूल शिक्षकों और स्टाफ को वेतन कैसे दे पाएंगे। पूरी मेहनत से बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षकों के बारे में भी सोचा जाना चाहिए।
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 60% तक शुल्क ले सकते हैं: सरकार
स्कूल बंद होने के कारण चल रही ऑनलाइन क्लासेस की फीस ली जा सकेगी। इस फीस का नाम कैपेसिटी बिल्डिंग फीस रखा गया है। यह शुल्क किसी क्लास के लिए तय फीस का 60 फीसदी होगा। साथ ही स्कूल को ऑनलाइन पढ़ाई नहीं करने वाले स्टूडेंट्स का भी सिलेबस पूरा कराना होगा। ऑनलाइन क्लास नहीं लेने की स्थिति में कैपेसिटी बिल्डिंग फीस नहीं लिया जा सकेगा।
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