
चंकी पांडे की मानें तो एक बार सनी देओल ने उनकी विदेशी सिगरेट चुराकर फ्लाइट में बांट दी थीं, जिसके बाद उन्हें गुस्सा आ गया था। पांडे ने एक इंटरव्यू में यह मजेदार किस्सा शेयर किया। उनके मुताबिक, यह तब की बात है, जब वे राजीव राय के निर्देशन में बनी फिल्म 'विश्वात्मा' (1992) की शूटिंग पूरी कर नैरोबी से वापस मुंबई लौट रहे थे।
पहले लगा सनी अपनी ओर से सिगरेट बांट करे
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में चंकी पांडे ने कहा- मैंने नैरोबी से ढेर सारी सिगरेट खरीदी थीं। फ्लाइट में बैठने के बाद मैं सोने चला गया। अचानक किसी ने मुझे जगाया और बताया कि सनी फ्लाइट में सिगरेट बांट रहा है। चूंकि सनी सिगरेट नहीं पीते, इसलिए अपने बैग में ढेर सारी सिगरेट होने के बावजूद मैंने सोचा कि मुझे अपना हिस्सा मिलना चाहिए।
जब प्लेन रनवे पर आया, तब मुझे अहसास हुआ कि सनी ने मेरी सिगरेट पैसेंजर्स में बांटी हैं। मुझे गुस्सा आ गया। फिर सनी मेरे पास आया और बोला- 'तुम्हे दयालू होना चाहिए। तुम्हे हमेशा शेयर करना चाहिए।' इसके तुरंत बाद मैं पैसेंजर्स से अपनी सिगरेट वापस पाने के लिए एयरक्राफ्ट के बाहर खड़ा हो गया।
22 की उम्र में चंकी ने अपनी कार तक बेंच दी थी
चंकी ने पिछले महीने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे 22 साल के थे, तब उनका कोई बैंक बैलेंस नहीं था। वे कहते हैं- पैसों के लिए मैंने अपनी फैंसी कार बेची और अलग-अलग ब्रांड्स के लिए बतौर मॉडल काम किया। तब तक मैं एक्टर नहीं बना था।
मेरा बैंक बैलेंस जीरो से भी नीचे था। हमेशा कर्ज में डूबा रहता था और पैसा उधार लिया करता था। मैं बॉलीवुड की पार्टियों में बिन बुलाए ही चला जाता करता था, ताकि फ्री में खाना, शराब मिल सके और ऐसे लोगों को तलाशता था, जो मुझे कास्ट कर सकें।
परेशान होकर बांग्लादेशी सिनेमा में चले गए थे
चंकी 80 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में बॉलीवुड के टॉप एक्टर्स की लिस्ट में शामिल थे। लेकिन 'तेजाब', 'आग ही आग' और 'आंखें' जैसी हिट फिल्में देने के बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में काम मिलना बंद हो गया था और वे घर पर बैठने को मजबूर हो गए। हालांकि, इस दौरान उन्होंने बांग्लादेशी सिनेमा का रुख किया और वहां के सुपरस्टार बन गए।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था- आंखें के बाद सालभर तक मैं घर में बैठा रहा। मेरे पास 'तीसरा कौन' इकलौती फिल्म थी। इसलिए जैसे ही मुझे बांग्लादेश में काम करने का मौका मिला तो मैं चला गया। और वहां मेरी पहली फिल्म सुपरहिट रही, जिसके बाद मैं तीन-चार साल तक वहीं काम करता रहा।
शादी के बाद पत्नी (भावना) ने कहा कि मेरी सही पहचान बॉलीवुड ही है। जब मैं हिंदी सिनेमा में लौटा तो पता चला कि लोग मुझे पूरी तरह भूल चुके थे। मैंने स्ट्रगल शुरू किया। लोगों से मिलने लगा और काम मांगने लगा। किस्मत से मुझे दोबारा काम मिल गया।
चंकी 1997 में हिंदी सिनेमा में लौट आए थे, लेकिन उनकी दूसरी पारी को सफलता 2010 में फिल्म 'हाउसफुल' के साथ मिलनी शुरू हुई। बकौल पांडे, "मैंने फिर कभी पलटकर नहीं देखा। मेरा मानना है कि एक्टर को बेशर्म होना चाहिए। मैं ऐसा ही हूं।
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