
अधिक मास मूलतः भक्ति का महीना है। हिंदू ग्रंथ धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु में अधिक मास से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय, उज्जैन के आचार्य डॉ. उपेंद्र भार्गव का कहना है कि अधिक मास में नित्य, नैमित्तिक और काम्य तीनों तरह के कर्म किए जा सकते है। आश्विन मास होने से इस अधिक मास का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। किसी काम का समापन नहीं करना चाहिए। मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश और यज्ञोपवित आदि को छोड़ कर शेष सभी नैमित्तिक (किसी विशेष प्रयोजन के), काम्य (आवश्यक) और नित्य (रोज किए जाने वाले) कर्म किए जा सकते हैं।
अधिक मास में क्या कर सकते हैं
- इस पूरे माह में व्रत, तीर्थ स्नान, भागवत पुराण, ग्रंथों का अध्ययन, विष्णु यज्ञ आदि किए जा सकते हैं। जो कार्य पहले शुरु किये जा चुके हैं उन्हें जारी रखा जा सकता है।
- संतान जन्म के कृत्य जैसे गर्भाधान, पुंसवन, सीमंत आदि संस्कार किये जा सकते हैं।
- अगर किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो चुकी है तो उसे किया जा सकता है।
- विवाह नहीं हो सकता है लेकिन रिश्ते देख सकते हैं, रोका कर सकते है।
- गृह प्रवेश नहीं कर सकते हैं लेकिन नया मकान अगर लेना चाहें तो उसकी बुकिंग की जा सकती है, प्रॉपर्टी खरीदी जा सकती है।
- अगर कोई बड़ा सौदा करना हो तो टोकन देकर उसे किया जा सकता है। फाइनल डील कोई मुहूर्त देखकर की जा सकती है।
अधिक मास क्या नहीं करना चाहिए
इस माह में कोई प्राण-प्रतिष्ठा, स्थापना, विवाह, मुंडन, नववधु गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, नामकरण, अष्टका श्राद्ध जैसे संस्कार व कर्म करने की मनाही है।
कैसे होती है अधिक मास की गणना
काल गणना के दो तरीके है। पहला सूर्य की गति से और दूसरा चंद्रमा की गति से। सौर वर्ष जहां सूर्य की गति पर आधारित है तो चंद्र वर्ष चंद्रमा की गति पर। सूर्य एक राशि को पार करने में 30.44 दिन का समय लेता है। इस प्रकार 12 राशियों को पार करने यानि सौर वर्ष पूरा करने में 365.25 दिन सूर्य को लगते हैं। वहीं चंद्रमा का एक वर्ष 354.36 दिन में पूरा हो जाता है। लगभग हर तीन साल (32 माह, 14 दिन, 4 घटी) बाद चंद्रमा के यह दिन लगभग एक माह के बराबर हो जाते हैं। इसलिए, ज्योतिषीय गणना को सही रखने के लिए तीन साल बाद चंद्रमास में एक अतिरिक्त माह जोड़ दिया जाता है। इसे ही अधिक मास कहा जाता है।
लीप ईयर में आश्विन अधिक मास 160 साल बाद
अंग्रेजी कैलेंडर में चार वर्ष में एक बार लीप ईयर आता है। लीप ईयर में फरवरी में 29 दिन होते हैं। हिंदू कैलेंडर में लीप ईयर नहीं होता, अधिक मास होता है। ये संयोग है कि 2020 में लीप ईयर एवं आश्विन अधिकमास दोनों एक साथ आए हैं। आश्विन का अधिकमास 19 साल पहले 2001 में आया था, लेकिन लीप ईयर के साथ अश्विन में अधिकमास 160 साल पहले 2 सितंबर 1860 को आया था।
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