भगवान विष्णु की पूजा में नहीं करना चाहिए चावल का इस्तेमाल, माधवी और लोध के फूल भी नहीं चढ़ाने चाहिए - ucnews.in

गुरुवार, 24 सितंबर 2020

भगवान विष्णु की पूजा में नहीं करना चाहिए चावल का इस्तेमाल, माधवी और लोध के फूल भी नहीं चढ़ाने चाहिए

विष्णु धर्मोत्तर पुराण और पद्म पुराण का कहना है कि पुरुषोत्तम महीने में भगवान विष्णु की पूजा स्वर्ण पुष्प से करने का विधान है। यानी अधिक मास में भगवान विष्णु को चंपा के फूल चढ़ाने से ही हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। काशी के ज्योतिषाचार्य और धर्म शास्त्रों के जानकार पं. गणेश मिश्र का कहना है कि आश्विन महीने में जूही और चमेली के फूल से भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है। इनके साथ ही तुलसी पत्र भी भगवान पर चढ़ाने चाहिए। इससे हर तरह के दोष भी खत्म हो जाते हैं।

पं. मिश्र के मुताबिक भगवान विष्णु के पसंदीदा फूल और पत्र

पसंदीदा फूल
भगवान विष्णु की पूजा में मालती, केवड़ा, चंपा, कमल, गुलाब, मोगरा, कनेर और गेंदे के फूल का उपयोग करना चाहिए। इससे श्रीहरि प्रसन्न होते हैं। इनके साथ ही जाती, पुन्नाग, कुंद, तगर और अशोक वृक्ष के फूल भी भगवान के प्रिय फूलों में आते हैं। इन फूलों से पूजा करने पर भगवान विष्णु के साथ ही लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

पसंदीदा पत्ते
भगवान विष्णु की पूजा में फूल से साथ पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं। इनसे धन-धान्य और सुख बढ़ता है। भगवान विष्णु के पसंदीदा पत्तों में तुलसी, शमी पत्र, बिल्वपत्र और दूर्वा यानी दूब है। इनके साथ ही भृंगराज, खेर, कुशा, दमनक यानी दवना और अपामार्ग यानी चिरचीटा के पत्ते भी विष्णुजी की पूजा में उपयोग किए जाते हैं।

भगवान विष्णु की पूजा में किन चीजों का उपयोग नहीं होता
भगवान विष्णु की पूजा में अगस्त्य का फूल, माधवी और लोध के फूल का उपयोग नहीं किया जाता है। ये भगवान को पसंद नहीं है। इनके साथ ही विष्णु जी की मूर्ति पर अक्षत यानी चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं। अधिक मास में भगवान की पूजा के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

फूल पत्तों से जुड़ी ध्यान रखने वाली बातें
भगवान की पूजा में अशुद्ध, बासी और कीड़ों के खाए हुए कटे-फटे, फूल और पत्तों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जमीन पर गिरे हुए, दूसरों से मांगे हुए या चुराए हुए फूलों का उपयोग भी पूजा में नहीं करना चाहिए। इनके अलावा कमल एवं कुमुद के फूल पांच दिनों तक बासी नहीं होते। साथ ही बिल्वपत्र, पान और तुलसी के टूटे-फूटे पुराने पत्ते भी चढाएं जा सकते हैं।



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Should not use rice in worshiping Lord Vishnu, Madhvi and Lodh flowers should not be offered


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