गया में बाहरी लोगों से न आने की अपील, नासिक में भी शुरू नहीं हुआ पिंडदान, उज्जैन में मास्क लगाकर श्रद्धालु कर रह हैं श्राद्ध कर्म - ucnews.in

शनिवार, 5 सितंबर 2020

गया में बाहरी लोगों से न आने की अपील, नासिक में भी शुरू नहीं हुआ पिंडदान, उज्जैन में मास्क लगाकर श्रद्धालु कर रह हैं श्राद्ध कर्म

2 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गया है। इन दिनों में गया, उज्जैन, नासिक, ब्रह्मकपाल में पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोराना की वजह से हालात बदल गए हैं। बिहार के गया में सार्वजनिक स्थानों पर पिंडदान करना प्रतिबंधित है। यहां नियमों का पालन न करने केस दर्ज हो सकता है। नासिक में अभी पूजन कर्म बंद है, लेकिन 25 सितंबर के बाद पिंडदान और अन्य धर्म कर्म शुरू होने की उम्मीद है। उज्जैन और ब्रह्मकपाल में नियमों का पालन करते हुए मुख्य घाटों पर पिंडदान आदि कर्म शुरू हो गए हैं।

हर साल पितृ पक्ष में गया में नदी किनारे के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। लेकिन, इस साल गया ये घाट सुनसान पड़े हैं।
  • गया में पिंडदान के लिए आने वाले लोगों को जिले से बाहर ही रोक दिया जाएगा

बिहार के गया तीर्थ में कोरोना वायरस की इस वजह से विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेला स्थगित कर दिया गया है। हर साल इस मेले में 8-10 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस बार फल्गु नदी किनारे, विष्णुपद, देवघाट, गदाधर घाट पर सन्नाटा पसरा है। www.covid19india.org के मुताबिक गया में 4 सितंबर की शाम तक 4,832 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। इनमें से 4,285 ठीक हो गए हैं और 505 एक्टिव केस हैं। यहां कोविड की वजह से 42 लोगों की मौत हो चुकी है। गया में फल्गु नदी के किनारे, विष्णुपद मंदिर में पिंडदान करने का विशेष महत्व है, लेकिन शासन ने यहां पूजन कर्म करना प्रतिबंधित कर रखा है।

गया जिले के बाहर ही रोक दिए जाएंगे बाहरी लोग

गया में पिंडदान के लिए आने वाले बाहरी लोगों को जिले के बाहर ही रोक दिया जाएगा। तीर्थ यात्रियों के वाहनों की जांच की जाएगी। जो लोग इस बात का पालन नहीं करेंगे, प्रशासन उनके खिलाफ कोविड-19 के नियमों के तरह केस दर्ज कर सकता है। इसलिए इस समय कोरोना से बचाव के लिए प्रशासन ने यात्रियों से गया न आने की अपील की है।

लॉकडॉउन की वजह से तीर्थ पुरोहितों के सामने आर्थिक संकट

गया में करीब 100 मुख्य पुरोहित परिवार हैं। इनके साथ ही करीब 10 हजार अन्य पुरोहित हैं, जो पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कराकर जीविका चलाते हैं। महामारी की वजह से बाहरी यजमान आ नहीं पा रहे हैं। करीब 5-6 माह में यहां के पुरोहितों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। पितृ पक्ष के मेले से उम्मीद थी, लेकिन ये भी रद्द हो गया। पुराना जमा पैसा भी खत्म हो गया है। हर साल मेला क्षेत्र में और विष्णुपद मंदिर के आसपास पूजन और पिंडदान सामग्रियों की दुकान लगाने वाले विक्रेता भी परेशान हैं।

गया में ऑनलाइन पिंडदान कराने की सभी बुकिंग कैंसिल

गया के तीर्थ पुरोहितों ने ऑनलाइन पिंडदान करना बंद कर रखा है। इस बार करीब 700 लोगों की ऑनलाइन पिंडदान कराने की बुकिंग कैंसिल की गई है। यहां के पुरोहितों का मानना है कि अपने हाथों से ही पिंडदान करने पर इसका फल मिलता है। अभी कोरोना की वजह से यहां नहीं आ सकते हैं तो बाद में कभी भी आ सकते हैं। क्योंकि, गया तीर्थ में सिर्फ पितृ पक्ष में ही नहीं सालभर में कभी भी पिंडदान किए जा सकते हैं। गया के स्थानीय लोग अपने परिचित पुजारियों की मदद से निजी स्थानों पर पिंडदान आदि कर्म करवा रहे हैं।

उज्जैन में सिद्धवट घाट पर पुजारी और यजमान दोनों मास्क पहनकर पिंडदान आदि कर्म कर रहे हैं।
  • उज्जैन हो गया है अनलॉक, पिंडदान के लिए आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं

मप्र के उज्जैन में 4 सितंबर की शाम तक 1891 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। जिनमें से 1499 लोग स्वस्थ हो गए हैं और 80 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी एक्टिव केस 294 है। कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए उज्जैन अनलॉक हो गया है। यहां का जनजीवन सामान्य होने लगा है। मास्क के बिना घूमते पाए जाने पर पुलिस केस बना रही है।

उज्जैन का पूरा बाजार खुला है। सभी दुकानें, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही अन्य सभी धर्म स्थल, होटल्स, रेस्टोरेंट भी खोल दिए गए हैं। पितृ पक्ष में पिंडदान के लिए बाहरी लोग भी निजी वाहन से उज्जैन आसानी से पहुंचा सकते हैं। महाकाल दर्शन के लिए मंदिर के ऐप पर प्री-बुकिंग करानी होती है।

उज्जैन में तीन जगहों पर कर कर सकते हैं पिंडदान

पितृ पक्ष में सिद्धवट, रामघाट, गया कोटा तीर्थ क्षेत्र में पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण शुरू हो गए हैं। हर साल इन तीन जगहों पर पितृ पक्ष में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से सबकुछ बदल गया है। पुजारी और यजमान, दोनों मास्क पहन रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है। शासन का स्पष्ट निर्देश है कि कहीं भी भीड़ एकत्र नहीं होनी चाहिए।

16 और 17 सितंबर को उज्जैन की शिप्रा नदी के घाटों पर तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान बंद रहेंगे। क्योंकि, चतुर्दशी और अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है, इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इन तिथियों पर सिद्धवट मंदिर में दूध चढ़ाना भी प्रतिबंधित रहेगा।

इस साल बहुत ही कम लोग पिंडदान करने ब्रह्मकपाल पहुंच रहे हैं। ज्यादातर स्थानीय लोग ही पिंडदान करा रहे हैं।
  • उत्तराखंड के चारों धाम श्रद्धालुओं के खुले हैं, ब्रह्मकपाल में भी पिंडदान शुरू

1 जुलाई से उत्तराखंड के चारों धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री सभी भक्तों के लिए खुले हैं। प्री-बुकिंग के आधार पर दर्शन कराए जा रहे हैं। अब तक 38,075 लोगों को चारधाम दर्शन के लिए ई-पास जारी हो चुके हैं। चामोली जिले में बद्रीनाथ के पास ही पिंडदान के प्रसिद्ध ब्रह्मकपाल घाट है। चामोली में 4 सितंबर की शाम तक 368 पॉजिटिव केस मिले हैं। जिनमें से 295 ठीक हो गए हैं, 70 एक्टिव केस हैं।

निजी वाहन से पहुंच सकते हैं ब्रह्मकपाल, यहां ठहरने की व्यवस्था भी

बद्रीनाथ से करीब 500 मीटर की दूरी पर ही ब्रह्मकपाल घाट है। यहीं पिंडदान किए जाते हैं। अब बाहरी प्रदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोई परेशानी नहीं है। कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट के साथ यहां पहुंचा जा सकता है। यहां के मंदिर, बाजार, होटल्स, रेस्टोरेंट भी खुल गए हैं। शासन द्वारा तय किए गए नियमों का पालन करते हुए सभी पूजन कर्म किए जा रहे हैं।
हर साल की अपेक्षा इस बार कोविड की वजह से यहां आने श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम है। जो भी लोग यहां आ रहे हैं, उनके लिए मास्क लगाना और दूरी बनाए रखना जरूरी है। बद्रीनाथ धाम में भी आसानी से दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर में बैठने, रुकने और पूजा करने की अनुमति नहीं है।

ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर मंदिर आम भक्तों के लिए अभी बंद है।
  • नासिक में 400 पुजारी परिवार सिर्फ पिंडदान और पूजन कर्म पर निर्भर, लेकिन ये सब बंद है

महाराष्ट्र में कोरोना एक्टिव केसों की संख्या 2 लाख से ज्यादा है। राज्य में पिंडदान के लिए प्रसिद्ध नासिक में सभी तरह के पूजन कर्म बंद हैं। नासिक में 4 सितंबर की शाम तक 43,291 कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं। इनमें से 32,825 रिकवर हो चुके हैं। 9,529 एक्टिव केस हैं और 937 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए नासिक का त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग बंद है और यहां पिंडदान कराना भी प्रतिबंधित है।

नासिक के तीर्थ पुरोहित पं. शैलेंद्र काकड़े के मुताबिक यहां करीब 400 परिवारों का जीवन सिर्फ धर्म-कर्म से मिलने वाले दान पर ही निर्भर है। 22 मार्च के बाद से मंदिर और पूजन बंद है, सावन माह पूरा खाली निकल गया। पितृ पक्ष से उम्मीद थी, लेकिन प्रशासन ने अभी तक पिंडदान कराने की अनुमति नहीं दी है। यहां के पुरोहित पिंडदान शुरू करने की मांग कर रहे हैं।

तीर्थ पुरोहित भूषण सांब शिखरे ने बताया कि नासिक में बाजार की सभी दुकानें खुल रही हैं। लोग कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सामाजिक दूरी का ध्यान भी रख रहे हैं। एक जिले से दूसरे जिले में आने-जाने वाले लोगों पर भी रोक नहीं है। लेकिन, धर्म-कर्म बंद हैं। यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में दर्शन, पूजन और पिंडदान से संबंधित कर्म 25 सितंबर के बाद शुरू हो सकते हैं।



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