कॉफी के बीज खाकर पहली बार बकरियां झूमने लगीं थीं, जब इसकी भुनी खुशबू नशे की तरह चढ़ी तो ये इंसानों के भी मुंह लग गई - ucnews.in

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

कॉफी के बीज खाकर पहली बार बकरियां झूमने लगीं थीं, जब इसकी भुनी खुशबू नशे की तरह चढ़ी तो ये इंसानों के भी मुंह लग गई

अमूमन लोग कॉफी तब पीते हैं, जब बॉडी में एनर्जी की कमी महसूस करते हैं या तनाव से जूझ रहे होते हैं। लेकिन, कॉफी के सबसे पुराने ठिकाने इथियोपिया में ऐसा नहीं है। यहां की हर दावत में आपको कॉफी मिलेगी। अफ्रीकी देश इथियोपिया को कॉफी का जन्मस्थल कहते हैं।

आज वर्ल्ड कॉफी डे है, इस मौके पर कॉफी के सबसे बड़े ठिकाने से जानिए 4 दिलचस्प किस्से...

1. जब कॉफी के बीज खाने के बाद बकरियां झूमने लगी थीं
इथियोपिया में कॉफी की खुशबू को कैसे पहचाना गया, इसका यहां एक सबसे दिलचस्प किस्सा मशहूर है। एक समय यहां कालदी नाम का चरवाहा अपनी बकरियों को काफा के जंगल से लेकर निकलता था। एक दिन उसने देखा, यहां जमीन पर पड़ी लाल चेरियां खाने के बाद बकरियां खुशी से झूम रही हैं। चरवाहे ने कुछ चेरियां तोड़ीं और खाईं। स्वाद पसंद आने पर चेरियों को अपने चाचा के पास ले गया।

चाचा बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और मठ में रहते थे। उन्होंने मजहबी बंदिश के कारण कॉफी की चेरी को आग में डाल दिया। जैसे ही बीजों ने जलना शुरू किया उसकी खुशबू नशे की तरह चढ़ने लगी। इसके बाद कालदी के चाचा ने इन बीजों का इस्तेमाल खुशबू के लिए करना शुरू किया।

इन्हीं लाल चेरियों से बीज निकालकर उससे कॉफी तैयार की जाती है।

2. जले हुए कॉफी के बीजों को पानी में डाला और ऐसे हुई इसकी शुरुआत
इथियोपिया में काफा के रहने वाले मेसफिन तेकले कहते हैं, यहां कॉफी का चलन कैसे शुरू हुआ इसकी कहानी मैंने अपने दादा से सुनी थी। वह कहते थे एक बार चरवाहे कालदी की मां ने आग में जले हुए बीजों को साफ किया। फिर इसे ठंडा होने के लिए पानी में डाल दिया और तेज खुशबू आने लगी। यहीं से कॉफी पीने का चलन शुरू हुआ।

मेसफिन कहते हैं, यहां के जंगल दुनियाभर के लिए एक तोहफे की तरह हैं। दुनियाभर के लोग यहां पर उगी कॉफी की चुस्कियां लेते हैं। कॉफी यहां की मेहमान नवाजी का हिस्सा है। बचपन से लड़कियों को इसे तैयार करना सिखाया जाता है।

कॉफी सेरेमनी की तैयारी।

3. सामाजिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 3 घंटे चलती है कॉफी सेरेमनी
इथियोपिया में हर खुशी के मौके पर कॉफी सेरेमनी आयोजित की जाती है। यह 2 से 3 घंटे का प्रोग्राम होता है। कॉफी को सर्व करने का काम घर की महिलाएं और बच्चे करते हैं। यह तैयार भी अलग तरह से होती है। कॉफी के दानों को रोस्ट करके उसे पीसते हैं और गर्म पानी के साथ मिलाते हैं। इसमें दूध नहीं मिलाया जाता है, लेकिन शक्कर की मात्रा अधिक रहती है। तैयार होने के बाद इसे सुराहीनुमा बर्तन में लाते हैं और मेहमानों को सर्व करते हैं।

4. यहां कॉफी के पेड़ लगाए नहीं जाते, अपने आप उग आते हैं
इथियोपिया के जंगल में कॉफी की 5 हजार से अधिक किस्में हैं। यहां की जमीन कॉफी के लिए इतनी उपजाऊ है कि पौधे लगाए नहीं जाते, अपने आप जमीन से उग आते हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट कहती है, 40 साल पहले इथियोपिया के 40 फीसदी इलाकों में काॅफी के जंगल थे। अब ये घटकर 30 फीसदी रह गए हैं।

कैसे हुई इंटरनेशनल कॉफी डे की शुरुआत
इस दिन का मकसद कॉफी को प्रमोट करना और इसे एक ड्रिंक के तौर पर सेलिब्रेट करना है। इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 2015 को हुई जब इटली के मिलान में इंटरनेशनल कॉफी ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत हुई।

साभार : बीबीसी, होमग्राउंड्स, कम्युनिकॉफी डॉट कॉम



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