सूर्य देव की सात, श्रीगणेश की तीन, श्री विष्णु और उनके सभी अवतारों की चार, श्री दुर्गा की एक, हनुमानजी की तीन, शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए - ucnews.in

मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

सूर्य देव की सात, श्रीगणेश की तीन, श्री विष्णु और उनके सभी अवतारों की चार, श्री दुर्गा की एक, हनुमानजी की तीन, शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए

पूजा में कई तरह के क्रियाएं होती हैं। जैसे भगवान की मूर्तियों को स्नान कराना, वस्त्र-आभूषण अर्पित करना, श्रृंगार करना, हार-फूल पहनाना, धूप-दीप जलाकर आरती करना, भोग लगाना, परिक्रमा करना। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार परिक्रमा के संबंध में कुछ नियम बताए गए हैं। सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की संख्या अलग-अलग है।

किसी मंदिर में या घर में पूजा करते समय प्रतिमा की परिक्रमा करने से पुण्य बढ़ता है। विचारों में सकारात्मकता और पवित्रता बढ़ती है। नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और मन भक्ति में लगा रहता है।

परिक्रमा की संख्या

पं. शर्मा के अनुसार सूर्य देव की सात, श्रीगणेश की तीन, श्री विष्णु और उनके सभी अवतारों की चार, देवी दुर्गा सहित सभी देवियों की एक, हनुमानजी की तीन, शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए। शिवलिंग की जलधारी को लांघना नहीं चाहिए, जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है। इसीलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही की जाती है।

कैसे करें परिक्रमा

जिस दिशा में घड़ी के कांटें घूमते हैं, उसी दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए। दाहिने (Right Hand) यानी सीधे हाथ की ओर से शुरू परिक्रमा करें। मंदिरों में लगातार पूजा और मंत्र जाप होते रहते हैं, घंटियां बजती हैं, जिससे मंदिर में और प्रतिमा के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का एक घेरा बन जाता है। ये ऊर्जा उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित होती है। सीधे हाथ की ओर से परिक्रमा करने पर हम मूर्तियों के आसपास रहने वाली सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण कर पाते हैं। मन को शांति मिलती है और नकारात्मकता दूर होती है।

परिक्रमा को कहते हैं प्रदक्षिणा

दाहिने का अर्थ दक्षिण होता है, इस वजह से परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता है। अगर प्रतिमा के आसपास परिक्रमा करने का स्थान नहीं है तो एक ही जगह पर गोल घूमकर भी परिक्रमा की जा सकती है

परिक्रमा करते समय ये मंत्र बोलना चाहिए

यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।

तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।

अर्थ- जाने अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। भगावन मुझे अच्छी बुद्धि प्रदान करें।



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