
हिंदू धर्म में परंपरा है कि नहाने के बाद ही खाना खाया जाता है। महाभारत, स्मृति ग्रंथों और पुराणों में बिना नहाए भोजन करने की मनाही है। धर्म ग्रंथों का कहना है कि नहाने के बाद पवित्र होकर ही भोजन करना चाहिए। बिना नहाए भोजन करना पशुओं के समान है और अपवित्र भी माना गया है। माना जाता है ऐसा करने से दोष लगता है। कुछ ग्रंथों में कहा गया है कि बिना नहाए भोजन कर लेने से दरिद्रता आती है। यानी आलस्य बढ़ने लगता है। हालांकि मौजूदा समय में इन बातों पर गौर नहीं किया जाता, लेकिन इस तथ्य के पीछे धार्मिक कारण के अलावा आयुर्वेदिक महत्व भी है।
पाचन में होती है आसानी
आयुर्वेदिक हॉस्पिटल वाराणसी के चिकित्सा अधिकारी प्रशांत मिश्र के मुताबिक नहाने से शरीर के हर हिस्से को नया जीवन मिलता है। सेहत के नजरिये से देखा जाए तो शरीर में पिछले दिन का मौजूद हर तरह का मैल नहाने से साफ हो जाता है। शरीर में ताजगी और स्फूर्ति भी आ जाती है, जिससे स्वाभाविक रूप से भूख लगती है। उस समय भोजन करने से भोजन का रस शरीर के लिए पुष्टिवर्धक होता है। जबकि नहाने से पहले खाना खाने से पेट की जठराग्नि उसे पचाने में लग जाती है।
- खाना खाने के बाद नहाने से शरीर ठंडा हो जाता है, जिससे पेट की पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है। इसके कारण हमारा आंत्रशोध कमजोर होता है, कब्ज की शिकायत रहती है और भी कई तरह के रोग हो जाते हैं। जरूरत हो तो नहाने से पहले गन्ने का रस, पानी, दूध, फल या औषधि ली जा सकती है क्योंकि, इनमें पानी ज्यादा होता है। जिससे ये जल्दी पच जाते हैं।
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