एकांत में विचार सकारात्मक रहते हैं और अकेलेपन में विचार नकारात्मक हो जाते हैं, एकांत में आनंद मिलता है और अकेलेपन में निराशा बढ़ती है - ucnews.in

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

एकांत में विचार सकारात्मक रहते हैं और अकेलेपन में विचार नकारात्मक हो जाते हैं, एकांत में आनंद मिलता है और अकेलेपन में निराशा बढ़ती है

जब भी कोई व्यक्ति कहीं अकेला होता है तो उसे एकांत समझ लिया जाता है। जबकि, ये सही नहीं है। इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां चल रही होती हैं, उसे समस्याओं को दूर करने का कोई उपाय नहीं मिल रहा होता है, जब वह निराश होने लगता है, तब वह भीड़ में अकेलापन महसूस कर सकता है। जबकि एकांत आनंद देता है।

आध्यात्मिक गुरु ओशो ने एकांत और अकेलेपन के बारे में अपने गीता दर्शन के अध्याय 6 में बताया है। ओशो के प्रवचन का सार यह कि जब भी एकांत होता है, तो लोग उस अकेलेपन को ही एकांत समझ लेते हैं।

लोग जैसे ही अकेलापन महसूस करते हैं, हम तत्काल उसे भरने के लिए कोई उपाय करने करने लगते हैं। फिल्म देखने चले जाते हैं, अखबार पढ़ने लगते हैं। कुछ और समझ नहीं आता है तो सो जाते हैं, सपने देखने लगते हैं। हम अपने अकेलेपन को जल्दी से जल्दी भर लेते हैं।

अकेलेपन से बढ़ते हैं नकारात्मक विचार

इस संबंध में एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि अकेलापन निराशा लेकर आता है। अकेलेपन में व्यक्ति नकारात्मक विचारों से घिर जाता है। उसे कहीं भी कोई ऐसा उपाय नहीं सूझता है, जिससे उसकी समस्याएं खत्म हो सके। नकारात्मक विचारों से व्यक्ति अकेलापन बहुत ही गंभीर हो जाता है। घर-परिवार के लोगों की याद आती है।

एकांत में व्यक्ति रहता है प्रसन्न

जबकि, एकांत में व्यक्ति को आनंद मिलता है। एकांत में प्रसन्नता मिलती है। मन शांत रहता है और भगवान की ओर मन का झुकाव होता है। एकांत में हम ध्यान कर सकते हैं। नए-नए सकारात्मक विचार आते हैं। जीवन में सुख और आनंद का अनुभव होता है।

अकेलेपन के नुकसान से बचें

अकेलापन मन ने नकारात्मक विचार भर देता है। लंबे समय तक इस स्थिति में रहने से व्यक्ति को मानसिक बीमारियां हो सकती है। अनजाना भय सताने लगता है। मन में गलत भावनाएं जागने लगती हैं। इसीलिए अकेलेपन से बचना चाहिए। जब भी नकारात्मक विचार बढ़ने लगे तो मन को शांत करना चाहिए। सोच को सकारात्मक बनाना चाहिए। अकेलेपन को एकांत में बदलना चाहिए। हम ध्यान कर सकते हैं। भगवान की भक्ति कर सकते हैं। मंत्र जाप कर सकते हैं। अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं। कुल मिलाकर अकेलेपन में ऐसे काम करें जो हमारी सोच सकारात्मक बनाए, मन प्रसन्न करे, जीवन में आनंद को बढ़ाए।



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