
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में पैर छूने की परंपरा है। हम जब भी किसी विद्वान या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान के नजरिये से देखा जाता है। काशी के धर्म शास्त्रों के जानकार पं. गणेश मिश्र का कहना है कि चरण स्पर्श करने की परंपरा केवल एक अभिवादन करने का तरीका ही नहीं, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं।
चरण स्पर्श की क्रिया में बनता है विद्युतीय ऊर्जा का चक्र
- शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरों तक लगातार ऊर्जा का संचार होता है। इसे कॉस्मिक ऊर्जा कहा जाता है।
- इस तरह से जब हम किसी व्यक्ति के पैर छूते हैं, तो उससे ऊर्जा ले रहे होते हैं। सामने वाले के पैरों से ऊर्जा का प्रवाह हाथों के जरिए हमारे शरीर में पहुंचता है।
- पैरों के अलावा हम शरीर का कोई और हिस्सा छूकर आशीर्वाद न लेने इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण हैं।
- जब हम सही प्रक्रिया के साथ चरण स्पर्श करते हैं तो कमर झुकाते हैं और अपने बाएं हाथ की अंगुलियों से सामने वाले के दाएं पैर और दाएं हाथ की अंगुलियों से बाएं पैर छूते हैं।
- इसके पीछे वैज्ञानिक व्याख्या ये है कि हमारा शरीर बहुत सारी तंत्रिकाओं से मिलकर बना है।
- ये तंत्रिका हमारे मस्तिष्क से शुरू होती है, वो हमारे हाथों और पैरों की अंगुलियों पर खत्म होती है।
- इस प्रक्रिया में जब हम अंगुलियों से उल्टे तरफ के पैर छूते हैं तो इस तरह शरीर में विद्युतीय ऊर्जा का चक्र बन जाता है। साथ ही सामने वाले के शरीर की ऊर्जा हमारे अंदर प्रवेश करती है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar
via