
अभी आश्विन मास की नवरात्रि चल रही है। देवी पूजा का ये उत्सव 25 अक्टूबर तक चलेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार देवी दुर्गा पंचदेवों में से एक हैं। गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, सूर्यदेव और देवी दुर्गा, ये पंचदेव माने गए हैं। इनकी पूजा रोज करने चाहिए। किसी भी शुभ काम की शुरुआत पंचदेवों के पूजन से ही होती है।
देवी दुर्गा की पूजा के लिए कुछ खास चीजों की जरूरत होती है। जैसे मूर्ति को स्नान के लिए तांबे का बर्तन, लोटा, दूध, मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले लाल वस्त्र, आभूषण, चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, अष्टगंध, फूल, नारियल, फल, दूध, मिठाई, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा आदि। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर मिलाकर पंचामृत बनाना चाहिए। देवी पूजा में ये सभी चीजें अर्पित करनी चाहिए।
गणेश पूजन से करें देवी पूजा की शुरुआत
गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं। इसीलिए सभी देवी-देवताओं से पहले इनकी पूजा अनिवार्य रूप से करनी चाहिए। नवरात्रि में भी देवी पूजा से पहले गणेश पूजन करें। देवी दुर्गा के साथ ही शिवजी का भी ध्यान करें।
पूजा में धूप और दीप जलाएं। लाल फूल, वस्त्र आदि अर्पित करें। चावल चढ़ाएं। नारियल अर्पित करें। भोग लगाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। देवी को पूजन सामग्री अर्पित करें। माता दुर्गा की पूजा में दुं दुर्गायै नमः मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। पूजा में हुई गलतियों की क्षमा मांगे।
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