
हिंदू पंचांग के मुताबिक अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को है। इसके अगले ही दिन यानी 25 अक्टूबर को नवमी तिथि और दशहरा एकसाथ है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक नवरात्र की अष्टमी, नवमी तिथि और दशहरे को हर लिहाज से खास माना गया है। इन 3 दिनों में बड़े और खास कामों की शुरुआत की जाती है। अष्टमी और नवमी तिथि देवी की महा पूजा के दिन होते हैं। वहीं दशहरे को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इसलिए नवरात्र के आखिरी 3 दिन कई मायनों में खास होते हैं।
इस बार ये दिन 24 और 25 को
पं. मिश्र का कहना है कि इस बार नवरात्र की अष्टमी तिथि 24 को है। 25 को नवमी और दशमी दोनों तिथियां रहेंगी। ज्योतिषीय गणना के चलते तिथि और दिन में ताल-मेल बैठाने की वजह से ऐसा होता है। जब एक अंग्रेजी तारीख में 2 हिंदी तिथियां आ जाती है। इस वजह से उस दिन 2 व्रत या त्योहार मनाए जाते हैं। धार्मिक कामों यानी व्रत, पूजा, स्नान और दान के लिए इन तिथियों को सूर्योदय के मुताबिक माना जाता है। लेकिन खरीदारी या किसी खास काम की शुरुआत के लिए उस समय सिर्फ तिथि का होना ही काफी रहता है।
जया तिथि और अबूझ मुहूर्त
पं. मिश्र बताते हैं कि ज्योतिष में अष्टमी को जया तिथि कहा गया है। इस तिथि में किए गए कामों में सफलता और जीत मिलती है। नवरात्र के दौरान इस तिथि का महत्व और असर दोनों बढ़ जाता है। इस दिन देवी की महा पूजा करने का भी विधान है। इसके अगले दिन नवमी तिथि को भी महा पूजा का दिन कहा गया है। इस दिन भी महत्वपूर्ण कामों की शुरुआत की जाती है। वहीं, ज्योतिष ग्रंथों में विजयादशमी यानी दशहरे को अबूझ मुहूर्त कहा गया है। ये पूर्णा तिथि है। यानी इस तिथि में किए गए काम अधूरे नहीं रहते, पूरे हो जाते हैं। दशहरे पर प्रॉपर्टी, व्हीकल और हर तरह की विशेष खरीदारी करने का भी विधान है।
24 को सर्वार्थसिद्धि और 25 को रवियोग
24 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। इस दिन प्रॉपर्टी, फर्नीचर और अन्य जरूरी खास चीजों की खरीदारी की जा सकती है। शनिवार होने से इस दिन व्हीकल खरीदारी नहीं करनी चाहिए। वहीं, 25 अक्टूबर को सूर्य-चंद्रमा की विशेष स्थिति से पूरे दिन रवियोग रहेगा। विजयादशमी अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन खासतौर से व्हीकल खरीदारी की जा सकती है। इसके साथ ही हर तरह की खरीदारी करना शुभ माना गया है।
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