
सोमवार की सुबह उत्तराखंड के चारधाम में से एक केदारनाथ धाम के द्वार शीतकाल के बंद हो गए हैं। आज दोपहर में यमुनोत्री धाम के और 19 तारीख को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे। इससे पहले रविवार को गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद हो चुके हैं। केदारनाथ में कपाट बंद होने से पहले विशेष पूजा-अर्चना की गई है। अब अगले साल महाशिवरात्रि पर मंदिर के कपाट खोलने की तारीख तय होगी।
केदारनाथ में सोमवार सुबह से ही बर्फबारी हो रही है। मंदिर सुबह 3 बजे खुल गया था। मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने भगवान की समाधि पूजा की। 6.30 बजे भगवान भैरवनाथजी को साक्षी मानकर गर्भगृह को बंद किया गया और 8.30 बजे सभा मंडप, मुख्य द्वार बंद कर दिए गए हैं।

इस साल 1 लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों ने किए दर्शन
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि इस साल 1 लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों ने केदारनाथ के दर्शन किए हैं। आज सुबह कपाट बंद होने के बाद भगवान की डोली रामपुर के लिए रवाना हुई। 17 नवंबर को भगवान डोली, यानी पालकी, गुप्तकाशी, विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी। 18 तारीख को उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पहुंच जाएगी। इसके बाद केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं इसी मंदिर में की जाएंगी।

अन्य मंदिरों की कपाट बंद होने की स्थिति
गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को बंद हो गए हैं। यमुनोत्री के आज 12.15 बंद होंगे। बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर की शाम 3.35 बजे बंद होंगे। द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर के कपाट 19 की सुबह 7 बजे बंद हो रहे हैं। मध्यमहेश्वर मेला 22 को आयोजित होगा। तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट भी बंद हो चुके हैं।
हर साल वैशाख मास में खुलते हैं केदारनाथ के कपाट
केदारनाथ उत्तराखंड के 4 धामों में तीसरा है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचाई पर बना ग्यारहवां मंदिर है। मंदिर 3,581 मीटर की ऊंचाई पर और गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर है। हर साल महाशिवरात्रि पर मंदिर के कपाट खोलने की तिथि तय होती है। आमतौर पर वैशाख महीने में, यानी मार्च-अप्रैल में, मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। इसके बाद करीब 6 महीने तक दर्शन और यात्रा चलती है। कार्तिक माह में, यानी अक्टूबर-नवंबर में, फिर कपाट बंद हो जाते हैं।

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