बद्रीनाथ धाम शीतकाल के लिए बंद, इस साल 1.45 लाख भक्तों ने किए दर्शन, पिछले साल 12 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे - ucnews.in

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

बद्रीनाथ धाम शीतकाल के लिए बंद, इस साल 1.45 लाख भक्तों ने किए दर्शन, पिछले साल 12 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे

आज बद्रीनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। पिछले कई दिनों से यहां का मौसम बहुत ठंडा रहने लगा है, यहां बर्फबारी भी हो रही है। जगह-जगह बर्फ जमी हुई है। कार्तिक शुक्ल पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र गुरुवार की दोपहर 3.35 अभिजीत शुभ मुहूर्त में बद्रीविशाल के द्वार बंद किए गए हैं।

कपाट बंद होने के अवसर पर धाम में करीब पांच हजार श्रद्धालु मौजूद थे। इस साल बद्रीनाथ धाम में कोरोना महामारी की वजह से करीब 1.45 लाख लोग ही दर्शन कर पाए हैं। जबकि, पिछले साल यहां 12.40 लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे थे। शीत ऋतु में यहां का वातावरण प्रतिकूल हो जाता है। ठंड और बर्फबारी की वजह से पूरा क्षेत्र बर्फ फैली रहती है। इस वजह से शीतकाल में ये मंदिर बंद किया जाता है।

बद्रीनाथ धाम देश के चारधामों में भी शामिल है।

जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में होगी शीतकालीन पूजा

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि इस साल राज्य के चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में दर्शन के लिए करीब 3.25 लाख श्रद्धालु पहुंचे। शुक्रवार की सुबह 9.30 बजे बद्रीनाथ से उद्धवजी और कुबेरजी की पालकी पांडुकेश्वर पहुंचेगी और आदि गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी पांडुकेश्वर होते हुए श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी धर्माधिकारी वेदपाठियों के साथ रवाना होंगे। 22 नवंबर से नृसिंह मंदिर में शीतकालीन पूजा शुरू हो जाएंगी।

गुरुवार सुबह 4.30 बजे मंदिर खुल गया था। नित्य भोग के बाद 12.30 बजे शांयकालीन आरती शुरू हुई इसके पश्चात मां लक्ष्मी पूजन किया गया और एक बजे शयन आरती की गई। इसके बाद रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा द्वारा कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की गई। माणा ग्राम से महिला मंडल द्वारा बुना गया घृत (घी) कंबल भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया गया।

बद्रीनाथ धाम नर और नारायण पर्वत के बीच में स्थित है।

अब नारद मुनि करेंगे बद्रीनाथजी की पूजा

मान्यता है कि बद्रीनाथजी के कपाट बंद होने के बाद नारदजी पूजा करते हैं। यहां लीलाढुंगी नाम की एक जगह है। यहां नारदजी का मंदिर है। कपाट बंद होने के बाद बद्रीनाथ में पूजा का प्रभार नारदमुनि को सौंप दिया जाता है।

कपाट बंद होने के बाद रावल रहेंगे अपने गांव में

बद्रीनाथ कपाट बंद होने के बाद रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी अपने गांव राघवपुरम पहुंच जाते हैं। ये गांव केरल के पास स्थित है। वहां इनका जीवन सामान्य रहता है। नियमित रूप से तीन समय की पूजा करते हैं, तीर्थ यात्राएं करते हैं। जब भी बद्रीनाथ से संबंधित कोई आयोजन होता है तो वे वहां जाते हैं।

रावल ईश्वरप्रदास नंबूदरी 2014 से बद्रीनाथ के रावल हैं।

शंकराचार्य के परिवार से नियुक्त होते हैं रावल

आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा तय की गई व्यवस्था के अनुसार ही रावल नियुक्त किए जाते हैं। केरल स्थित राघवपुरम गांव में नंबूदरी संप्रदाय के लोग रहते हैं। इसी गांव से रावल नियुक्त किए जाते हैं। इसके लिए इंटरव्यू होते हैं यानी शास्त्रार्थ किया जाता है। योग्य व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया जाता है। रावल आजीवन ब्रह्मचारी रहते हैं।

नर-नारायण की तपस्या स्थली

नर-नारायण ने बद्री नामक वन में तप की थी। यही उनकी तपस्या स्थली है। महाभारत काल में नर-नारायण ने श्रीकृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतार लिया था। यहां श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्ध बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बद्रीनाथ यहां निवास करते हैं।

मान्यता है कि पुराने समय में भगवान विष्णुजी ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी। लक्ष्मीजी के इस सर्मपण से भगवान प्रसन्न हुए। विष्णुजी ने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था।

द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर के कपाट भी हुए बंद

द्वितीय केदार मध्ममहेश्वर के कपाट भी आज सुबह शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। मंदिर में पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने समाधि पूजा की थी। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी- कर्मचारी, पुजारी और स्थानीय मौजूद थे। इस समय मध्यमहेश्वर में भी बर्फ जमी हुई है।

शीतकाल के लिए भगवान की पालतकी 22 नवंबर को अपने गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंच जाएगी। इसी दिन मध्यमहेश्वर मेला आयोजित होगा।

डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में होगी। पंच केदारों में ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम के कपाट 16 को, तृतीय केदार तुंगनाथजी के कपाट 4 को, चतुर्थ केदार रूद्रनाथ के कपाट 17 अक्टूबर को बंद कर दिए गए हैं। चार धामों में गंगोत्री धाम के कपाट 15 को, यमुनोत्री धाम के 16 नवंबर बंद हो चुके हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Badrinath Dham door closed for winter, uttarakhand chardham devsthanam board, kedarnath, badrinath dham


from Dainik Bhaskar
via

Share with your friends

Related Posts

Add your opinion
Disqus comments
Notification
This is just an example, you can fill it later with your own note.
Done