
16 नवंबर तक बुध और शुक्र एक दूसरे की राशि में रहेंगे। ग्रहों ये स्थिति 23 अक्टूबर से बन रही है। लेकिन नवंबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह में इन का असर और बढ़ जाएगा। ज्योतिष में बुध को बुद्धि, वाणी, योजनाएं, अर्थव्यवस्था, बिजनेस, षडयंत्र, गणना और कूटनीति बनाने वाला ग्रह भी कहा गया है। वहीं, शुक को सुख, विलासिता, वैभव देने वाला और खर्चा करवाने वाला ग्रह कहा गया है। इन दोनों ग्रहों की वजह से हर इंसान के दिमाग में किसी खास काम को लेकर योजनाएं, कूटनीति और षडयंत्र चल रहा है। साथ ही पैसों के निवेश या खर्चे से जुड़ी स्थितियां भी बन रही हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति को समझकर लेन-देन, निवेश, खर्चा या कोई काम किया जाए तो उसमें नुकसान से बचा जा सकता है।
कूटनीति और योजनाएं
ग्रहों की ये स्थिति कई तरह से लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन अभी इनकी वजह से खासतौर से वातावरण में राजनीतिक प्रभाव और तनाव बढ़ रहा है। विश्व स्तर से लेकर आम लोगों तक ग्रहों का ये असर हो रहा है। ग्रहों की इस स्थिति के कारण हर कोई अपने-अपने तरीके से आसपास की चीजों को बदलने की कोशिश में लगा है। जिसके लिए हर इंसान वाणी और कूटनीति का उपयोग कर रहा है। शुक्र और बुध का संबंध बनने से कई लोगों का समय षडयंत्र, राजनीति, कूटनीति और योजनाएं बनाने में लग रहा है। इसलिए आम लोगों से लेकर खास तक, हर इंसान को सोच-समझकर और सावधानी से फैसले लेने चाहिए।
लेन-देन और निवेश
इन ग्रहों के कारण कई लोगों की आर्थिक स्थितियों में भी बदलाव हो रहा है। बुध और शुक्र के कारण आर्थिक बजट पर ध्यान देना जरूरी है। लेन-देन, निवेश या खर्चा हर मामले में सोच-समझकर ही पैसा लगाना होगा। इन दो ग्रहों के कारण कुछ लोगों को धन लाभ तो होगा लेकिन पैसा उलझने की स्थिति भी बन सकती है। कुछ लोगों का किया गया निवेश गलत हो सकता है। वहीं, कुछ लोगों को कम खर्चे में ज्यादा फायदा मिल सकता है।
खरीदारी और खर्चा
इन ग्रहों के प्रभाव से ही खरीदारी की योजनाएं बनती हैं। इनके कारण कुछ लोग अपनी सेविंग या प्लानिंग से ज्यादा भी खर्चा कर सकते हैं। क्योंकि इन ग्रहों की वजह से खरीदारी के समय कीमत से ध्यान हट जाता है या कीमत कम लगने लगती है। इन ग्रहों के कारण ही व्यक्ति खरीदारी के वक्त किसी चीज की सुंदरता, गुणवत्ता, उपयोगिता और भविष्य में उसके अपने से जुड़ाव को लेकर ज्यादा काल्पनिक हो जाता है। इसलिए सबसे पहले उस चीज की कीमत से ध्यान हट जाता है। इस तरह कोई भी इंसान अपनी कल्पनाओं को पूरा करने के लिए अपनी बचत और संसाधनों का उपयोग करने लगता है।
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