
जब भी किसी रिश्ते में तालमेल बिगड़ता है तो वाद-विवाद बढ़ने की संभावनाएं बनने लगती हैं। घर में शांति बनाए रखने के लिए गुस्से से बचना चाहिए। वाद-विवाद की स्थिति में धैर्य से काम लें और सोच-समझकर बात करें, तभी हालात सामान्य बन सकते हैं।
एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक व्यक्ति के यहां संत भिक्षा मांगने पहुंचे। व्यक्ति ने चावल का दान किया और बोला कि गुरुजी मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग झगड़ा क्यों करते हैं?
संत कुछ देर चुप रहे और कुछ सोचकर बोले कि मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे बेकार सवालों के जवाब देने नहीं आया।
ये बात सुनते ही व्यक्ति गुस्सा हो गया। उसने संत से इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं की थी। वह सोचने लगा कि ये कैसा संत है, मैंने इसे दान दिया है और ये मुझे ही ऐसा जवाब दे रहा है। व्यक्ति ने गुस्से में संत को खरी-खोटी सुना दी।
कुछ देर बाद व्यक्ति का गुस्सा शांत हुआ तो संत ने कहा कि जैसे ही मैंने तुम्हें कोई बुरी बात कही, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे, इस स्थिति में अगर मैं भी गुस्सा हो जाता तो हमारे बीच झगड़ा हो जाता है।
संत ने समझाया कि गुस्सा झगड़े की जड़ है। हम क्रोध नहीं करेंगे तो कभी वाद-विवाद नहीं होगा। क्रोध को काबू करने की कोशिश करनी चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। हमेशा धैर्य बनाए रखना चाहिए और विवाद की स्थिति में ज्यादा सोच-समझकर बात करनी चाहिए।
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