
कभी-कभी किसी काम में बार-बार कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है। ऐसी स्थिति में काफी लोग हिम्मत हार जाते हैं और रास्ता बदल लेते हैं और बड़ा लाभ कमाने का अवसर खो देते हैं। लेकिन, काम कितना भी मुश्किल क्यों न हो, एक बार अंतिम प्रयास और पूरी ईमानदारी से जरूर करना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा...
पुराने समय में एक राजा को पड़ोसी राज्य से मूल्यवान पत्थर उपहार में मिला। राजा ने सोचा कि इस पत्थर से भगवान की मूर्ति बनवानी चाहिए। उसने मंत्री को आदेश दे दिया कि किसी बड़े मूर्तिकार को हजार स्वर्ण मुद्राएं देकर इस पत्थर से बहुत सुंदर मूर्ति बनवाई जाए।
मंत्री ने काफी खोज करने के बाद एक अच्छे मूर्तिकार को ये काम सौंप दिया। मूर्तिकार खुश था कि उसे बहुत सारा धन मिलेगा। उसने मूर्ति बनाने के लिए पत्थर को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी। मूर्तिकार बार-बार हथौड़े से वार कर रहा था, लेकिन पत्थर बहुत मजबूत था। वह टूट ही नहीं रहा था।
सुबह से शाम हो गई, लेकिन मूर्तिकार को पत्थर तोड़ने में सफलता नहीं मिल पाई। वह थक गया और सोचने लगा कि इस पत्थर को तोड़ना संभव नहीं है। इसीलिए उसने मंत्री से कहा कि ये काम मेरे बस का नहीं है।
अगले दिन मंत्री ने दूसरा मूर्तिकार खोजा। जब दूसरे मूर्तिकार में पत्थर पर पहला हथौड़ा मारा तो वह टूट गया। ये देखकर मंत्री हैरान था। उसने सोचा कि कल उस मूर्तिकार ने दिनभर पत्थर पर वार किए, जिससे कि ये कमजोर हो गया था। अगर वह एक बार और प्रयास करता तो ये पत्थर टूट जाता और उसे उसकी मेहनत का फल जरूर मिलता, लेकिन वह बीच में ही हिम्मत हार गया।
कथा की सीख
इस प्रसंग की सीख यह है कि हमें कभी भी प्रयास करने में पीछ नहीं हटना चाहिए। बार-बार कोशिश करने के बाद भी सफलता न मिले तो एक बार प्रयास करना चाहिए। हो सकता है कि अंतिम प्रयास में सफलता मिल जाए। कभी-कभी चाबी के गुच्छे की अंतिम चाबी से ताला खुल जाता है।
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