अगहन महीने के कृष्णपक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर हुआ था एकादशी का प्राकट्य - ucnews.in

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

अगहन महीने के कृष्णपक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर हुआ था एकादशी का प्राकट्य

उत्पन्ना एकादशी का व्रत अगहन महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। पंचांग भेद होने के कारण इस बार ये व्रत 10 और 11 दिसंबर को किया जा रहा है। पद्म पुराण के मुताबिक इस दिन व्रत या उपवास करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही कई यज्ञों को करने का फल भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार अगर एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं तो भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। इस व्रत में एक समय फलाहार कर सकते हैं।

श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया एकादशी की उत्पत्ति और महत्व के बारे में
मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की ग्यारहवीं तिथि को भगवान विष्णु से एकादशी तिथि प्रकट हुईं यानी उत्पन्न हुई थीं। इसलिए इस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इसे उत्पत्तिका, उत्पन्ना, प्राकट्य और वैतरणी एकादशी भी कहा जाता है। पद्म पुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस एकादशी की उत्पत्ति और इसके महत्व के बारे में बताया था। व्रतों में एकादशी को प्रधान और सब सिद्धियों को देने वाला माना गया है।

हजारों यज्ञों से भी ज्यादा है इस व्रत का फल
ग्रंथों में बताया है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य मिलता है। ये व्रत करने वाले को बुरे कर्म करने वाले, पापी, दुष्ट लोगों की संगत से बचना चाहिए। एकादशी व्रत में अन्न का सेवन करने से पुण्य का नाश होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का फल हजारों यज्ञों से भी अधिक है।​​​​​​​

एक दिन पहले से ही शुरू हो जाता है व्रत

  1. उत्पन्ना एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को शाम के भोजन के बाद अच्छी तरह दातुन करें ताकि अन्न का अंश मुंह में न रह जाएं। इसके बाद कुछ भी नहीं खाएं, न अधिक बोलें।
  2. एकादशी की सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें। धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की पूजा करें और रात को दीपदान करें। रात में सोएं नहीं। इस व्रत में रातभर भजन-कीर्तन करने का विधान है।
  3. इस व्रत के दौरान जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनके लिए माफी मांगनी चाहिए। अगले दिन सुबह फिर से भगवान की पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देने के बाद ही खुद खाना खाएं।


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Ekadashi was revealed on the eleventh date of Krishna Paksha of Aghaan month


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