
जो लोग कंफर्ट जोन में रहकर ही काम करना चाहते हैं, वे कभी भी कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाते हैं। इसे हम एक लोक कथा से समझ सकते हैं। जानिए ये कथा...
कथा के अनुसार पुराने समय में एक विद्वान संत अपने बचपन के मित्र से मिलने पहुंचे। वे बहुत समय के बाद मित्र से मिल रहे थे। उन्होंने मित्र के घर में देखा कि वे बहुत ही गरीबी में जीवन जी रहे हैं। मित्र के दो भाई और थे। उनके घर के बाहर फलियों का एक पेड़ था।
तीनों भाई उस पेड़ से फलियां तोड़ते और उन्हें बेचकर जो पैसा मिलता था, उससे खाने की व्यवस्था करते थे। जब संत उनके घर पहुंचे तो उस दिन भी उन्होंने ऐसा ही किया।
उस समय फलियां बेचकर उन्हें ज्यादा पैसा नहीं मिला था तो सिर्फ दो लोगों के लिए ही खाने की व्यवस्था हो सकी। एक भाई ने भूख न होने की बात कही, दूसरे ने कहा कि उसका पेट खराब है। इसके बाद संत और उनके मित्र ने खाना खा लिया।
संत को अपने मित्र की दशा पर दया आ रही थी। लेकिन, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह मित्र की मदद कैसे करें। संत रात में उठे और उन्होंने कुल्हाड़ी से फलियों का पेड़ काट दिया और वहां से भाग गए।
अगले दिन जब तीनों भाई उठे तो कटा पेड़ देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ। गांव के लोग भी संत की बुराई कर रहे थे कि इनकी कमाई का एक मात्र जरिया काट दिया।
कुछ सालों के बाद संत फिर से उसी मित्र के गांव की ओर से गुजर रहे थे तो उन्होंने मित्र से मिलने का साहस जुटाया। वे गांव में प्रवेश कर रहे थे तो वहां मित्र के भाइयों से मार खाने के लिए भी तैयार थे।
जब वे मित्र के घर पहुंचे तो वहां एक बड़ा घर बन चुका था। वे घर के अंदर पहुंच तो उनके मित्र और मित्र के भाइयों की हालत एकदम बदल चुकी थी। अब वे अमीर हो गए थे।
मित्र संत को देखकर सभी भाई बहुत खुश हो गए और संत से कहा कि कुछ समय बाद समझ आया कि तुमने फलियों का पेड़ क्यों काट दिया था। हम उस पेड़ के सहारे जीवन जी रहे थे, इसीलिए मेहनत नहीं करते थे। पेड़ कट गया तो हमने जीने के लिए मेहनत करना शुरू कर दी और धीरे-धीरे हमारे हालात बदल गए। आज हमारे पास धन-संपत्ति है। ये सब तुम्हारी वजह से हो सका है।
संत भी मित्र की हालत देखकर प्रसन्न थे। उनकी योजना सफल हो चुकी थी और मित्र का परिवार अब सुख-संपत्ति से संपन्न हो गया था।
कथा की सीख
जो लोग अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं निकलते हैं, वे कभी भी बड़ी सफलता और अच्छा जीवन हासिल नहीं कर पाते हैं। कंफर्ट जोन सफलता का दुश्मन है। इससे बाहर निकलना चाहिए।
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