
पुराने समय में उज्जैन के एक हुए थे, उनका नाम था राजा भर्तृहरि। इनके छोटे भाई थे विक्रमादित्य। विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत् प्रचलित है। राजा भर्तृहरि के संबंध में कथा प्रचलित है कि उनकी पत्नी पिंगला ने उन्हें धोखा दिया था। इस वजह से उन्होंने राजपाठ छोड़ दिया और विक्रमादित्य को राजा बना दिया था। इसके बाद भर्तृहरि संन्यासी हो गए और तप करने लगे। उन्होंने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक नाम के ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं।
जानिए नीति शतक की कुछ खास नीतियां, जिनका ध्यान रखने पर हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं...




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