
बड़ा पद हो या बहुत ज्यादा धन हो, कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। वरना घर-परिवार और समाज में अपमानित होना पड़ सकता है। एक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा प्रजा का हाल जानने के लिए वेश बदलकर अपने नगर में घूम रहा था।
रास्ते में राजा ने देखा कि एक मजदूर बड़ा पत्थर हटाने की कोशिश कर रहा है, वहीं उसका ठेकेदार भी खड़ा था, लेकिन वह मदद नहीं कर रहा था। बल्कि वह मजदूर को डांट रहा था। ये देखकर राजा ने उस व्यक्ति से कहा कि अगर तुम भी इस मजदूर की मदद कर दोगे तो ये पत्थर आसानी से और तुरंत हट जाएगा। पत्थर बड़ा है, ये इस अकेले मजदूर से हट नहीं पाएगा।
उस व्यक्ति ने कहा कि मैं इसका ठेकेदार हूं और मेरा काम पत्थर हटाने का नहीं है। ये बात सुनकर राजा खुद उस मजदूर के पास गए और पत्थर हटाने के लिए उसकी मदद करने लगे। कुछ ही देर में वह पत्थर रास्ते हट गया। गरीब मजदूर ने मदद करने वाले अनजाने व्यक्ति का आभार माना।
पत्थर हटने के बाद भेष बदले हुए राजा ने ठेकेदार से कहा कि भाई भविष्य में कभी भी तुम्हें एक मजदूर की जरूरत हो तो राजमहल आ जाना। ये बात सुनकर ठेकेदार हैरान हो गया। उसने ध्यान से देखा तो उसे समझ आया कि उसके सामने स्वयं महाराज हैं। राजा को पहचानते ही ठेकेदार उनसे क्षमा मांगने लगा।
राजा ने उससे कहा कि पद और धन की वजह से कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। हर हाल में दूसरों की मदद करना ही मानवता है। अगर हम अपने पद का घमंड करेंगे तो हमें कभी भी घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान नहीं मिल पाएगा।
कथा की सीख यही है कि हमें जरूरतमंद लोगों की अपने सामर्थ्य के अनुसार मदद करते रहना चाहिए। दूसरों की मदद करने वाले लोगों को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है।
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