
आज प्रभु यीशु का जन्मदिन है। पूरी दुनिया में ये दिन क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। ईसा मसीह अपने उपदेशों में सबसे ज्यादा दूसरों की भलाई करने की बात कहते थे। यहां जानिए ईसा मसीह के दो ऐसे प्रसंग, जिनमें ये बताया है कि हमें किन लोगों की ज्यादा देखभाल करनी चाहिए...
पहली कथा
एक गडरिया अपनी सबसे छोटी भेड़ को कंधे पर उठाकर जा रहा था। थोड़ी देर बाद गडरिए ने भेड़ को कंधे से उतारा, उसे नहलाया, उसके बालों को सुखाया। हरी खास खिलाई। ईसा मसीह ने देखा कि वह गडरिया बहुत खुश है। वे गडरिए के पास गए और पूछा, 'तुम इस भेड़ की देखभाल करके बहुत खुश हो, ऐसा क्यों?'
गडरिया बोला, 'ये भेड़ बार-बार रास्ता भटक जाती है। इसीलिए मैं हमेशा इसे अपने पास रखता हूं। इसका बहुत अच्छी तरह ध्यान रखता हूं, ताकि ये मुझसे दूर न जाए और रास्ता न भटके।
ये बात सुनकर ईसा मसीह ने अपने शिष्यों से कहा, 'इनकी बात में एक महत्वपूर्ण सूत्र छिपा है। एक बात हमें भी हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि भटके हुए लोगों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जैसा कि इस भेड़ के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वैसा ही व्यवहार भटके हुए लोगों के साथ भी करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखने पर ही गलत रास्ते पर चल रहे लोग सुधर सकते हैं।
दूसरी कथा
एक दिन प्रभु यीशु बुरे लोगों के साथ बैठकर खाना खा रहे थे। कुछ लोगों ने यीशु के शिष्यों से कहा कि तुम्हारा गुरु कैसा है? बुरे लोगों साथ खाना खा रहा है।
शिष्यों ने प्रभु यीशु से पूछा, 'आप गलत लोगों के साथ भोजन क्यों कर रहे हैं?
प्रभु यीशु बोले, 'एक बात बताओ स्वस्थ और बीमार व्यक्ति में से सबसे ज्यादा वैद्य की जरूरत किसे है?
सभी शिष्यों ने कहा, 'बीमार व्यक्ति को वैद्य की सबसे ज्यादा जरूरत है।
ईसा मसीह ने कहा, 'मैं भी एक वैद्य ही हूं। बुरे लोग रोगी की तरह हैं। उन लोगों की बीमारी दूर करने के लिए मैं उनके साथ बैठकर खाना खाता हूं, उनके साथ रहता हूं। जिससे वे लोग भी गलत काम छोड़कर अच्छे रास्ते पर चल सके।'
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar
via