
गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के कर्मचारियों ने लेबर यूनियन बनाई है। ये यूनियन कर्मचारियों की बेहतर सैलरी, नौकरी में सुविधाओं और अच्छे वर्क कल्चर के लिए काम करेगी। इस यूनियन में करीब 226 इंजीनियर्स कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारियों ने इस यूनियन को गुपचुप तरीके से बनाया है। दिसंबर 2020 में चुनाव के बाद इसका नाम अल्फाबेट वर्कर्स यूनियन (AWU) रखा गया।
अमेरिका और कनाडा में मौजूद अल्फाबेट के सभी 120,000 कर्मचारियों के लिए यूनियन खुली है। उन्होंने AWU नाम का सॉफ्टवेयर भी बनाया है। यूनियन ने बताया कि वो पिछले एक साल से इस पर काम कर रही थी। किसी अमेरिकन टेक इंडस्ट्री में यूनियन बनने का ये पहला मौका है।
यूनियन के लीडर्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक आर्टिकल में लिखा कि अल्फाबेट वर्कर्स यूनियन ये सुनिश्चित करना चाहती है कि उसके मेंबर्स को सही सैलरी मिले, शोषण न हो, भेदभाव न हो और सभी बिना किसी डर के काम कर सकें।
7 मेंबर्स ने तैयार की यूनियन
अल्फाबेट वर्कर्स यूनियन की एग्जीक्यूटिव काउंसिल में 7 लोग शामिल हैं। जिसमें एग्जीक्यूटिव चेयर पारुल कौल हैं। वे गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। काउंसिल में 3 महिलाएं हैं। पूरी टीम कुछ इस तरह है...

नाम | यूनियन में पोस्ट |
पारुल कौल | एग्जीक्यूटिव चेयर |
चेवी शॉ | एग्जीक्यूटिव वाइस चेयर |
एमिली चांग | एग्जीक्यूटिव रिकॉर्डिंग चेयर |
क्रिस श्मिट | एग्जीक्यूटिव फाइनेंस चेयर |
अलेजांद्रा बीट्टी | एग्जीक्यूटिव एट-लार्ज काउंसिल मेंबर |
निक टस्कर | एग्जीक्यूटिव एट-लार्ज काउंसिल मेंबर |
ऑनी अहसान | एग्जीक्यूटिव एट-लार्ज काउंसिल मेंबर |
2.50 लाख में सिर्फ 226 कर्मचारी की यूनियन
अल्फाबेट और गूगल में 2.50 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। इनमें परमानेंट और कॉन्ट्रैक्ट वाले दोनों कर्मचारी शामिल हैं। यूनियन में 226 कर्मचारी हैं। यूनियन के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयर चिवी शॉ ने कहा कि इसके जरिए मैनेजमेंट पर दबाव बनाकर कर्मचारियों की प्रॉब्लम दूर करेंगे। कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उन सभी मुद्दों का समाधान करेंगे जिनसे कर्मचारियों पर दबाव रहता है। आने वाले दिनों में यूनियन से कई कर्मचारी जुड़ सकते हैं।
वेबसाइट से यूनियन में हो रही ज्वॉइनिंग
अल्फाबेट वर्कर्स यूनियन की वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज भी तैयार किया गया है। रोचक बात ये है कि यूनियन का चुनाव दिसंबर में हुआ था, लेकिन इसका सोशल पेज सितंबर 2019 में तैयार हो गया था। इसकी वेबसाइट का नाम alphabetworkersunion.org है। यहां से डायरेक्ट यूनियन को ज्वॉइन किया जा सकता है। इसके लिए कर्मचारी को नाम, बर्थ डेट, एड्रेस, ईमेल, सोशल पेज की डिटेल देनी होगी।
यूनियन को लेकर गूगल के पीपुल्स ऑपरेशंस डायरेक्टर कारा सिल्वस्टीन ने कहा कि हम कर्मचारियों के लेबर राइट्स का सम्मान करते हैं। हमने कर्मचारियों के लिए अच्छे वर्क कल्चर और अच्छी सैलरी देने वाला माहौल बनाने की कोशिश की है। हम आगे भी सभी कर्मचारियों के साथ सीधे संपर्क में रहेंगे।
अमेरिका की लेबर रेगुलेटरी बॉडी के गूगल पर आरोप हैं कि वो कर्मचारियों से गैरकानूनी तरीके से पूछताछ करती है। जब कर्मचारियों ने कंपनी की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था और संगठन बनाने की कोशिश की, तब उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था। हालांकि, गूगल अपने इस कदम को सही मानती है।
कभी यौन शोषण तो कभी ट्रांसपेरेंसी पर हुआ विवाद
- यौन शोषण मामला: 2018 में महिलाओं के यौन शोषण मामले में गूगल को कर्मचारियों की कड़ी निंदा का सामना करना पड़ा था। तब कंपनी के 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम छोड़कर सड़कों पर उतर आए थे।
- एआई पर विवाद: गूगल कर्मचारियों ने 2018 में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के साथ होने वाली मावेन परियोजना का विरोध किया था। इस परियोजना में सरकार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) तकनीक को सेना के लिए इस्तेमाल करना चाहती थी। तब 3100 से ज्यादा कर्मचारियों ने कंपनी को लिखा कि गूगल को युद्ध के कारोबार में नहीं उतरना चाहिए।
- ट्रांसपेरेंसी पर सवाल: एक रिपोर्ट में कहा गया था कि गूगल गुपचुप तरीके से चीन के लिए सर्च इंजन पर काम कर रही है। इसे कंपनी ने ड्रैगनफ्लाइ का नाम दिया है। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा। तब कर्मचारियों ने कंपनी से कहा कि वो अपने काम में पारदर्शिता लेकर आए।
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