ज्ञानी, तपस्वी, शूरवीर, कवि, विद्वानों के लिए भी लालच नुकसानदायक होता है, इस बुराई से बचना चाहिए - ucnews.in

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

ज्ञानी, तपस्वी, शूरवीर, कवि, विद्वानों के लिए भी लालच नुकसानदायक होता है, इस बुराई से बचना चाहिए

श्रीरामचरित मानस रचयिता गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म संवत् 1554 में हुआ था। इनका प्रारंभिक नाम रामबोला था। काशी में रहकर इन्होंने वेदों का अध्ययन किया था। संवत् 1583 में तुलसीदासजी का विवाह हुआ और इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने घर-परिवार छोड़ दिया था। तुलसीदास ने दोहावली की भी रचना की थी। इस ग्रंथ में जीवन प्रबंधन के सूत्र बताए गए हैं।

यहां जानिए दोहावली में बताए कुछ खास दोहे...



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