भगवान दत्तात्रेय ने पृथ्वी, सूर्य, वायु, सांप सहित बनाए थे 24 गुरु, सहनशीलता का गुण पृथ्वी से सीखना चाहिए - ucnews.in

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

भगवान दत्तात्रेय ने पृथ्वी, सूर्य, वायु, सांप सहित बनाए थे 24 गुरु, सहनशीलता का गुण पृथ्वी से सीखना चाहिए

मंगलवार, 29 दिसंबर को भगवान दत्तात्रेय की जंयती है। अनुसूइया और अत्रि ऋषि दत्तात्रेय के माता-पिता थे। हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। दत्तात्रेय ने अपने जीवन में कुल 24 गुरु बनाए थे। दत्तात्रेय ने इन गुरुओं के माध्यम से हमें सुखी जीवन के सूत्र बताए हैं। जानिए ये गुरु कौन-कौन थे और उनसे क्या सीखा जा सकता है...
1. पृथ्वी
सहनशीलता का गुण पृथ्वी से सीख सकते हैं। पृथ्वी पर कई प्रकार के प्रहार किए जाते हैं, कई तरह के उत्पात होते हैं, खनन कार्य होते हैं, लेकिन पृथ्वी हर प्रहार को सहन करती है।
2. पिंगला वेश्या
पिंगला नाम की वेश्या से दत्तात्रेय ने शिक्षा ली थी कि सिर्फ पैसों को महत्व नहीं देना चाहिए। वेश्या सिर्फ पैसों के लिए किसी भी पुरुष की ओर इसी नजर से देखती थी कि उससे धन मिलेगा। धन पाने की इच्छा से वह सो नहीं पाती थी। एक दिन पिंगला के मन में वैराग्य जागा, उसे समझ आ गया कि पैसों में नहीं बल्कि परमात्मा के ध्यान में ही असली सुख है।
3. कबूतर
कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे बच्चों को देखकर खुद भी जाल में जा फंसता है। कबूतर से दत्तात्रेय ने यह शिक्षा ली कि किसी से भी बहुत ज्यादा मोह दु:ख की वजह बन जाता है।
4. सूर्य
सूर्य से दत्तात्रेय ने सीखा कि सूर्य एक ही है, लेकिन अलग-अलग माध्यमों से अलग-अलग तरह का दिखाई देता है। आत्मा भी एक ही है, लेकिन ये भी सूर्य की तरह ही कई रूपों में दिखाई देती है।
5. वायु
जिस प्रकार अच्छी या बुरी जगह पर जाने के बाद वायु का मूल रूप स्वच्छता ही है। उसी तरह अच्छे या बुरे लोगों के साथ रहने पर भी हमें अपने गुणों को छोडऩा नहीं चाहिए।
6. हिरण
हिरण उछल-कूद, संगीत, मौज-मस्ती में इतना खो जाता है कि उसे अपने आसपास शेर या अन्य किसी हिसंक जानवर के होने का आभास ही नहीं होता है और वह मारा जाता है। हिरण से यह सीखें कि हमें कभी भी मौज-मस्ती में इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए कि हम परेशानियों में फंस जाएं।
7. समुद्र
जीवन के उतार-चढ़ाव में भी खुश और गतिशील रहना चाहिए।
8. पतंगा
पतंगा आग की ओर आकर्षित होकर जल जाता है। इसी तरह हमें भी किसी के रूप-रंग के आकर्षण और झूठे मोह में उलझना नहीं चाहिए।
9. हाथी
हाथी हथिनी के संपर्क में आते ही उसके प्रति आसक्त हो जाता है। अत: हाथी से सीख सकते हैं कि संन्यासी और तपस्वी को स्त्रियों से बहुत दूर रहना चाहिए।
10. आकाश
दत्तात्रेय ने आकाश से सीखा कि हर देश, काल, परिस्थिति में लगाव से दूर रहना चाहिए।
11. जल
दत्तात्रेय ने जल से सीख ली कि हमें सदैव पवित्र रहना चाहिए।
12. छत्ते से शहद निकालने वाला
मधुमक्खियां शहद इकट्ठा करती है और एक दिन छत्ते से शहद निकालने वाला सारा शहद ले जाता है। इस बात से ये सीखा जा सकता है कि आवश्यकता से अधिक चीजों को एकत्र करके नहीं रखना चाहिए।
13. मछली
हमें स्वाद का लोभी नहीं होना चाहिए। मछली किसी कांटे में फंसे मांस के टुकड़े को खाने के लिए चली जाती है और अंत में प्राण गंवा देती है। हमें स्वाद को इतना अधिक महत्व नहीं देना चाहिए, ऐसा ही भोजन करें जो सेहत के लिए अच्छा हो।
14. कुरर पक्षी
कुरर पक्षी से सीखना चाहिए कि चीजों को पास में रखने की सोच छोड़ देना चाहिए। कुरर पक्षी मांस के टुकड़े को चोंच में दबाए रहता है, लेकिन उसे खाता है। जब दूसरे बलवान पक्षी उस मांस के टुकड़े को देखते हैं तो वे कुरर से उसे छिन लेते हैं। मांस का टुकड़ा छोड़ने के बाद ही कुरर को शांति मिलती है।
15. बालक
छोटे बच्चे से सीखा कि परिस्थितियों कैसी भी हों, हमेशा चिंतामुक्त और प्रसन्न रहना चाहिए।
16. आग
आग से दत्तात्रेय ने सीखा कि कैसे भी हालात हों, हमें उन हालातों में ढल जाना चाहिए। जिस प्रकार आग अलग-अलग लकडिय़ों के बीच रहने के बाद भी एक जैसी ही नजर आती है।
17. चंद्रमा
आत्मा लाभ-हानि से परे है। वैसे ही जैसे घटने-बढ़ने से भी चंद्रमा की चमक और शीतलता बदलती नहीं है, हमेशा एक-जैसे रहती है। आत्मा भी किसी भी प्रकार के लाभ-हानि से बदलती नहीं है।
18. कुमारी कन्या
कुमारी कन्या से सीखना चाहिए कि अकेले रहकर भी काम करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। दत्तात्रेय ने एक कुमारी कन्या देखी जो धान कूट रही थी। धान कूटते समय उस कन्या की चूड़ियां आवाज कर रही थीं। बाहर मेहमान बैठे थे, जिन्हें चूड़ियों की आवाज से परेशानी हो रही थीं। तब उस कन्या ने चूड़ियों की आवाज बंद करने के लिए चूड़ियां ही तोड़ दीं। दोनों हाथों में बस एक-एक चूड़ी रहने दी। इसके बाद उस कन्या ने बिना शोर किए धान कूट लिया। हमें भी ऐसे काम करना चाहिए कि दूसरों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
19. शरकृत या तीर बनाने वाला
अभ्यास और वैराग्य से मन को वश में करना चाहिए। दत्तात्रेय ने एक तीर बनाने वाला देखा जो तीर बनाने में इतना मग्न था कि उसके पास से राजा की सवारी निकल गई, लेकिन उसका ध्यान भंग नहीं हुआ।
20. सांप
दत्तात्रेय ने सांप से सीखा कि किसी भी संन्यासी को अकेले ही जीवन व्यतीत करना चाहिए। साथ ही, कभी भी एक स्थान पर रुककर नहीं रहना चाहिए। जगह-जगह ज्ञान बांटते रहना चाहिए।
21. मकड़ी
मकड़ी से दत्तात्रेय ने सीखा कि भगवान भी मायाजाल रचते हैं और उसे मिटा देते हैं। जिस प्रकार मकड़ी स्वयं जाल बनाती है, उसमें विचरण करती है और अंत में पूरे जाल को खुद ही निगल लेती है, ठीक इसी प्रकार भगवान भी माया से सृष्टि की रचना करते हैं और अंत में उसे समेट लेते हैं।
22. भृंगी कीड़ा
इस कीड़े से दत्तात्रेय ने सीखा कि अच्छी हो या बुरी, जहां जैसी सोच में मन लगाएंगे मन वैसा ही हो जाता है।
23. भौंरा या मधुमक्खी
भौरे से दत्तात्रेय ने सीखा कि जहां भी सार्थक बात सीखने को मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। जिस प्रकार मधुमक्खी और भौरें अलग-अलग फूलों से पराग ले लेते हैं।
24. अजगर
अजगर से सीखा कि हमें जीवन में संतोषी बनना चाहिए। जो मिल जाए, उसे ही खुशी-खुशी स्वीकार कर लेना चाहिए। आनंद से रहना चाहिए।



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