
सोमवार, 7 दिसंबर को काल भैरव अष्टमी है। अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरवाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि पर भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव के साथ ही शिवजी और माता पार्वती की पूजा भी जरूर करनी चाहिए। देवी मां के सभी शक्तिपीठ मंदिरों में काल भैरव का भी विशेष पूजन किया जाता है। काल भैरव के दर्शन किए बिना देवी मंदिरों में दर्शन का पूरा पुण्य नहीं मिलता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार काल भैरव अष्टमी पर काल भैरव का श्रृंगार तेल में सिंदूर मिलाकर करें। हार-फूल चढ़ाएं। नमकीन और मिठाई का भोग लगाएं। नारियल अर्पित करें। धूप-दीपक जलाएं। कुत्तों को रोटी खिलाएं। भैरव भगवान का वाहन श्वान यानी कुत्ता ही है। इसीलिए कुत्ते की देखभाल करने से भी काल भैरव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
काल भैरव अष्टमी को कालाष्टमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी तिथि पर शिवजी का रौद्र स्वरूप काल भैरव प्रकट हुआ था। भय को दूर करने वाले को भैरव कहा जाता है। काल भैरव अष्टमी पर पूजा-पाठ करने से नकारात्मकता, भय और अशांति दूर होती है।

उज्जैन के काल भैरव को चढ़ाई जाती है शराब
मप्र के उज्जैन में काल भैरव का प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां काल भैरव की चमत्कारी मूर्ति स्थापित है। आज भी काल भैरव को शराब पिलाई जाती है। इसके लिए चांदी की प्याली में शराब भरी जाती है और भैरव प्रतिमा के मुख पर लगाई जाती है। इसके बाद मंदिर का पुजारी मंत्र जाप करता है। कुछ ही पलों में शराब की प्याली खाली हो जाती है। ये चमत्कार यहां आज भी देखा जा सकता है।
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